Alok 's Blog
Sunday, December 2, 2007
खौफ
खौफ का यूं आलम है
मौत भी मना रही मातम है
जिंदगी की टूटी इस कदर आस है
की सिसकी ले रही हर साँस है
कोई किरण नही आशा की
कोई उम्मीद नही दिलासा की
सुख गए आंसू आँखों में
बंद हो गए सपने सारे सलान्खों में
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